चूँकि रात को सब जल्दी सो गए थे । इसलिए अगले दिन सुबह बिल्कुल फ्रेश उठे । सुबह 7 बजे खटपट से मेरी नींद भी खुल गई । देखा सब तैयार हो रहे है ।
मैंने पूछा क्या प्रोग्राम है तो ऋषभ ने कहा तैयार हो कर नीचे चलते है फिर देखेंगे । हम जेंट्स सब तैयार हो गए तो कहा 'हम नीचे जा कर प्रोग्राम सेट करते है । तुम लोग बच्चों को तैयार करके नीचे आ जाओ । में ऋषभ मनीष नीचे रिसेप्शन पर पहुचे । उससे यहाँ के टूरिस्ट प्लेसेस की जानकारी ली । पता चला रोहतांग के लिए होटल वाले ही टैक्सी का इंतजाम कर देते है । पुछने पर पता चला की टैक्सी 1 घंटे में आ सकती है । हमने होटल वालो को टेक्सी के लिए बोल दिया अब तक सभी लोग तैयार हो कर नीचे आ गए । अब हम नाश्ते के लिए होटल से बाहर आ गए । मार्किट व्यास नदी ,जो की होटल के सामने ही थी , पार करके दूसरी तरफ था । और वहाँ पहुचने के लिए पुल पार करके जाना पड़ता । इसलिए मार्किट में जाने का प्रोग्राम कैंसिल कर आसपास ही देखना शुरू किया । एक छोटी सी चाय की दुकान नजर आयी । लेकिन वहां बैठने का जुगाड़ नहीं था । हम वापस होटल में आये रिसेप्शन के सामने हो सोफे पड़े थे हमने वहीँ चाय और सेंडविच माँगा लिए । जब तक हमने नाश्ता किया रोहतांग जाने के लिए गाड़ी भी आ गई । हमारे घरवाले एक नाश्ते का और एक कपड़ो का बैग भी साथ ले आये थे । मनाली में मौसम बहुत अच्छा था लेकिन स्वेटर के लायक ठण्ड नहीं थी । लेकिन सब ने रोहतांग के हिसाब से स्वेटर पहन लिये थे ।
अब गाडी में सामान रख कर हम भी गाड़ी में बैठ लिए । और हमारा रोहतांग का सफर शुरू हो गया । रोहतांग का रास्ता नेशनल हाई वे न0 21 कहलाता है । मनाली से आगे के रास्ते के रखरखाव की जिम्मेदारी बी आर ओ की है । रास्ते को देख कर प्रतीत होता है कि बी आर ओ अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा है ।
रोहताग रास्ते के नजारे |
रोहताग रास्ते के खूबसूरत नजारे |
रोहताग रास्ते मे बादलों का साम्राज्य |
रोहताग रास्ते मे बादलों का साम्राज्य |
अब गाडी में सामान रख कर हम भी गाड़ी में बैठ लिए । और हमारा रोहतांग का सफर शुरू हो गया । रोहतांग का रास्ता नेशनल हाई वे न0 21 कहलाता है । मनाली से आगे के रास्ते के रखरखाव की जिम्मेदारी बी आर ओ की है । रास्ते को देख कर प्रतीत होता है कि बी आर ओ अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा है ।
रास्ते में सड़को के किनारे टेंट लगा कर गर्म कपड़े, जूते और दस्ताने किराए पर उपलब्ध कराने वाली अनेको दुकाने आती है । यह दुकाने नाम से न होकर नम्बरों से थी, ताकि पर्यटक वापिसी में दुकान को पहचान का उनका सामान आसानी से वापिस कर सके । हमारे ड्राइवर ने भी गाड़ी एक दुकान के आगे रोक दी । दुकान के बाहर ही एक लड़के ने आदेशात्मक स्वर में आवाज लगाई । सभी के लिए गर्म कपडे स्पेशल जुते , कैप इत्यादि ले लो । मैं पहले रोहतांग गया हुआ था इसलिए मुझे पता था कि जो कपडे हमने पहने है ये पर्याप्त है । हमने मना कर दिया , तो वो हमें डराने लगे की रोहतांग में से कपडे काम नहीं करते वहाँ स्पेशल कपडे चाहिए होते है । हमने फिर भी मना कर दिया । ड्राइवर ने गाड़ी आगे बढ़ा ली ।
रोहताग रास्ते मे व्यास नदी |
रास्ते मे व्यास नदी |
रोहताग रास्ते मे व्यास नदी |
व्यास नदी की साथ साथ चलते हुए सारा रास्ता सुन्दर द्रश्यो से परिपूर्ण है । कुछ समय बाद सड़क से बहुत दूर बर्फ ढकी पहाड़ियों का खूबसूरत नजारा भी दिखना शुरू हो गया था ।मनाली से लगभग 12 कि मी पर पलचान नामक जगह आती है । यहाँ से सड़क दो जगह बट जाती है ।एक रोहतांग की तरफ दूसरी सोलंग घाटी की तरफ जाती है । हम लोगो को रोहतांग जाना था सो हम रोहतांग की तरफ चल दिए ।
पहाड़ी गधा |
पहाड़ी वनस्पति लगभग 4000 मी0 पर |
बादलों का साम्राज्य ,खूबसूरत मोसम |
पलचान से कुछ आगे निकलने के बाद जबरदस्त पहाड़ी चढ़ाई शुरू हो गयी थी । आगे तीखे और घुमावदार यू पिन जैसे खतरनाक मोड़, जब इन मोड़ो से गाड़ी गुजरती तब अनायास एक डर मन में बैठ जाता था कि अब तो नीचे खाई में गए । लेकिन ड्राइवर बहुत कुशल था उसे इस रास्ते पर रोज चलने का अनुभव था । कभी गाड़ी खाई की तरफ और कभी पहाड़ की तरफ चली जा रही थी । आगे एक स्थान आता है मढ़ी । जब रोहतांग का रास्ता बंद होता है तो पर्यटक यही तक आते है । लोकल टूरिस्ट ऑपरेटर बदमाशी भी करते है । जब हम मढ़ी पहुंचे उस समय सड़क के दोनों साइड बहुत सी गाड़िया खड़ी हुई थी । हमारे ड्राइवर ने कहा रोहतांग का रास्ता बंद है । टूरिस्ट यही तक आ सकते है । पहले हमने उसकी बात का विश्वास कर लिया । परंतु हमने एक गाड़ी को आगे जाते देखा । तो ड्राइवर से पूछा ये कहाँ जा रही है । ड्राइवर ने कहा ये केलांग जा रही होगी । बस यही पर वो फंस गया । मैंने कहा केलांग का रास्ता भी रोहतांग हो कर ही है । ऋषभ फ़ौरन बोला 'चल भाई , जहाँ तक रास्ता खुला है तू वहाँ तक चल । अब उसके पास सिवा चलने के कोई चारा नहीं था । अभी हमारा रोहतांग का सफ़र यहाँ से लगभग 15 किमी० दूर था और आगे का रास्ता उबड-खाबड़ और खतरनाक हो गया था । कैसे इन विषम परिस्थिर्यो में बी आर ओ ने इतनी ऊंचाई वाले खतरनाक जगहों पर , जहाँ चलने में ही साँस फूलती हैं , इस सड़क मार्ग का निर्माण किया होगा और विपरीत परिस्तिथियों में मार्ग को सुचारू रखने के लिए कितने मेहनत करनी पड़ती होगी । लेकिन मौसम ने मजा बांध दिया । हम सड़क पर ऊपर चल रहे थे हमारे ठीक सामने नीचे बादल बारिश कर रहे थे । हम खतरनाक रास्ता वास्ता सब भूल गए और मौसम का मजा लेने लगे । बादल हमारी गाड़ी के अंदर आ रहे थे । आगे रोहतांग के ओर जाता हुआ रास्ते पर मेंटेनेन्स का काम चल रहा था बड़ी जेसीबी मशीन रास्ता ठीक करने में जुटी हुई थी । जिस वजह से जाम लगा हुआ था । हम उतर कर नीचे घूमने लगे । एक दो से बात हुई तो पता चला । यहाँ तो हमेशा ही मरम्मत चलती रहती है । अगर मरम्मत न चले तो इस सड़क को चलने लायक नहीं बनाया जा सकता ।
बड़ी जेसीबी मशीन रास्ता ठीक करने में जुटी हुई |
बड़ी जेसीबी मशीन |
रास्ते के जाम |
रास्ते के जाम |
खूबसूरत मोसम |
करीब आधा घंटा सफ़र और रास्ते के जाम को झेलते हुए हम लोग रोहतांग पहुँच गए । रोहतांग एक दर्रा है । दर्रे में सड़क के टॉप से थोड़ा नीचे एक बड़े मैदान में पार्किंग की व्यवस्था थी । रोहतांग दर्रे की शुरुआत से ही बड़ी संख्या में सड़क पर लोगो ने अपने वाहनं सड़क के इधर-उधर खड़े किये हुए थे । हमने ड्राइवर से कहा हमें सड़क के टॉप तक छोड़ दे ।उसने हमें सड़क के बिलकुल ऊपर जहाँ से लाहुल-स्पीति के लिए ढलान शुरू था छोड़ दिया । और गाड़ी पार्किंग में ले गया । रोहतांग में इस समय काफी संख्या में पर्यटक जमा थे और काफी भीड़-भाड़ थी ।रोहतांग में बर्फ का विशाल साम्राज्य है । रोहतांग की खूबसूरती देखकर हम लोग मंत्रमुग्ध हो गए । सड़क पर दोनों तरफ हमारी लंबाई से ज्यादा ऊँची ऊँची बर्फ जमी थी । सड़क पर ही बर्फ पिघल कर पानी के रूप में बह रही थी । यानी यही व्यास नदी का उदगम स्थल बन गया था । बाकी सब लोग फोटोग्राफी में लग गए । मैं और पुलकित जगह देख कर बर्फ पर चढ़ गए । यहाँ थोड़ा सा ही चलने में साँस फूलने लगती है । लेकिन हमारे जोश के आगे प्रकृति ने भी मानो हमें सहारा देने की सोच ली थी । हम ऊपर तक चढ़ते चले गए । बड़ा मजा आया । यहाँ लोग बर्फ में खेलने का आनन्द ले रहे थे । स्थानीय लोगो ने बर्फ के सुंदर पुतले और मॉडलनुमा छोटे घर बना रखे थे । घूम फिर कर हम नीचे आ गए । सब मैगी खाने में लगे थे । हमें भी भूख लगी थी , लेकिन मुझे मैगी कम पसन्द है । पुलकित की जान प्राण है मैगी । मैगी देखते ही पुलकित उस पर टूट पड़ा । मैंने भुट्टा ले लिया । यहाँ पर सामान दुगना महंगा था । लेकिन यहाँ की विषम परिस्थितियों को देख कर यह रेट भी महंगे नहीं लगे । हम टहलते टहलते नीचे जहाँ गाड़ी पार्क थी चल दिए । यहाँ लोगों ने टीन और तिरपाल से अस्थाई दुकाने बनाई हुई थी । कुछ लोगों ने सड़क के किनारे ही बैंच लगा कर दुकान लगाई हुई थी । इस समय यहाँ पर करीब एक हजार गाड़िया खड़ी थी । लगभग 1 घण्टा वहाँ लगा कर हम अपनी गाड़ी में बैठ लिए । अब यहाँ से वापस जाने के लिए भी लाइन थी । ड्राइवर ने गाड़ी लाइन में लगा दी । दो पोलिस वाले थोड़ी थोड़ी गाड़िया छोड़ रहे थे । ताकि आगे रास्ते में ट्रेफिक जैम न हो जाये । लगभग 15 मिनट में हमारी गाड़ी का नम्बर भी आ गया । हम रोहतांग से चल दिए । रास्ते में एक ख़ुबसूरत झरना था । ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी । मेरे सर में दर्द हो रहा था । कम ऑक्सीजन की वजह से ऐसा हो जाता है । इसलिए मैं गाड़ी से नहीं उतरा । बाकी सब झरने पर घूम आये । अब हम मनाली के लिए चल दिए ।
रोहतांग में बर्फ का विशाल पहाड़ |
रोहतांग में बर्फ का विशाल साम्राज्य |
माता जी बर्फ के पहाड़ के आगे |
ऋषभ भुट्टा भुनते हुए |
बर्फ पिघल कर सड़क पर बहती नदी |
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