नमस्कार
मित्रों
अपने
मेरी पिछली पोस्ट्स में मेरी नैनीताल यात्रा के विषय में पढ़ा था । अब में अपनी एक अन्य
रोचक यात्रा जो की कुल्लू मनाली , शिमला की है के विषय में लिख रहा हूँ ।
कुल्लू
मनाली , शिमला यात्रा की तैयारी
जैसा
की में पहले भी लिख चुका हूँ की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सावन के माह में एक विशेष
त्यौहार होता है सावन शिवरात्रि , जिसमें श्रद्धालु हरिद्वार से गंगा जल ले कर चलते
है । इस दौरान हरिद्वार से मेरठ तक पूरा मार्ग हेवी ट्रेफिक व गाड़ियों के लिए बंद रहता
है । ये समय हमारे लिए घूमने जाने का आदर्श समय होता है । जैसे कावड़ के दौरान नैनीताल
यात्रा की गई थी । इसी प्रकार अगली कावड़ के दौरान हमारा प्रोग्राम कुल्लू मनाली , शिमला
का बन गया । लेकिन इस बार यात्रा की तैयारी पहले से की गई थी । यह यात्रा लगभग तीन
साल पहले की गई थी ।
इस
बार यात्रा में मै ,मेरा परिवार (माता जी , धर्मपत्नी , बड़ा बेटा पुलकित , छोटा बेटा
विदित , हमारे साले साहब मनीष , उनकी पत्नी , छोटा साला ऋषभ जो मनिपाल में पढ़ रहा है
छुट्टियों में आया हुआ था । कुल जमा 8 लोग हो गए थे । अपनी गाड़ी से जाना संभव नहीं
था । इसलिए एक बड़ी गाड़ी स्कार्पियो कर ली । इसी गाड़ी से हम इससे पहले अपने चचेरे भाई
के साथ जयपुर का टूर कर चुके थे । इसलिए हमें गाड़ी और ड्राइवर पर भरोसा था । सफर में
साथी अगर अच्छे हों तो सफर का मजा कई गुना हो जाता है । उसमें गाड़ी और ड्राइवर भी शामिल
होता है ।
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हमारा
यात्रा वाहन
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हमारा
यात्रा वाहन
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हमने गाडी तय कर ली । और नियत तारीख में सुबह 5 बजे आने के लिए बोल दिया
। ड्राइवर का मोबाइल नं0 हमारे पास पहले से था । जिस दिन हमें जाना था उससे एक दिन
पहले ड्राइवर का फ़ोन आया कि उसे अचानक दूसरी गाड़ी पर जाना पड़ रहा है। । इसलिए मैं आपके
साथ नहीं चल पाउंगा । अपनी जगह मै उसी गाड़ी पर दूसरा ड्राइवर भेज रहा हूँ । मुझे कुछ
संशय हुआ । तो उसने आस्वाशन दिया कि हर तरह की जिम्मेदारी मेरी है । वो आदमी बहुत अच्छा
है । अब हमारे पास समय भी नहीं था । अगले दिन सुबह निकलना था । हमने कहा भेज भई ।
अगले
दिन सुबह 5 बजे गाड़ी हमारे घर पर आ गई । हमने अपना सामान गाड़ी में रख लिया । मनीष को
फ़ोन कर दिया हम चल दिए , बस 5 मिनट में तुम्हारे यहाँ पहुच जायेंगे ।हम पटेल नगर चल
दिए अपनी बाकी सवारियों को लेने । 5 मिनट में ही हम उनके घर पहुँच गए । अब उन्होंने
अपना सामान रखना शुरू किया । स्कॉर्पियो की डिक्की बहुत छोटी होती है । 2 बैग और 2
छोटी अटैची बड़ी मुश्किल से एडजेस्ट किये । बाकि सामान सबसे पिछली सीट पर एक कोने पर
एडजेस्ट किया । उनके सामान में 2 खाने के बड़े बड़े बैग भी थे । जिनमे सूखा नाश्ता जैसे
मठरी , बिस्किट , नमकीन , अचार इत्यादि थे । अब बैठने की बारी थी । दो लोग पीछे , महिलाएं
और पुलकित कुल 4 लोग बीच में , ऋषभ सबसे आगे बैठ गए ।
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सफर शुरू हुआ |
अब फाइनली साढ़े पांच बजे हम मनाली के लिए चल दिए । निकलते ही सियाप्पा होते होते बचा । मुज़फ्फरनगर शामली मार्ग भी कावड़ यात्रा के लिए बंद था । लेकिन सुबह सुबह का समय होने के कारण सख्ती ज्यादा नहीं थी । ड्राइवर ने पुलिस वालो से अनुरोध किया कि हमें चरथावल जाना है । जहाँ जाने के लिए लगभग 500 मी0 आगे से रास्ता कटता है । पुलिस ने हमें जाने दिया । बच गए , वरना बहुत लंबा चक्कर लगा कर गांवो के रास्ते जाना पड़ता । हम वाया चरथावल थानाभवन शामली जाने को तैयार थे । ये रास्ता ज्यादा लंबा नहीं है । और अच्छा बना है । हम चरथावल रोड पर आराम से पहुच गए । अब कोई समस्या नहीं थी । सुबह का समय था बीच में पड़ने वाले कस्बों और गांवों की सड़के खाली पड़ी थी । ड्राइवर बहुत बढ़िया था । हम सात बजे शामली पार कर गए । शामली से करनाल का रास्ता खुला हुआ था । लेकिन बहुत ज्यादा ख़राब हालात में था । ड्राइवर ने बताया कि ये रास्ता 4 लेन पास हो गया है । जो पूरी तोड़ कर दोबारा बनाया जायेगा । इसलिए सरकार इसपर पैसे खर्च नहीं कर रही है ।
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पुलकित
महाशय
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छोटा
बेटा विदित
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मैं , विदित
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छोटा
बेटा विदित
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मेरा परिवार |
शामली से करनाल लगभग 45 कि मी है । जिसे पार करने में 2 घंटे लग गए । अब
हम नेशनल हाइवे पर आ गए । अब उम्मीद थी सड़क बढ़िया मिलेगी । सड़क तो बढ़िया थी पर हर
15 - 20 कि मी पर लगभग हर रोड़ क्रासिंग पर फ्लाई ओवर का निर्माण हो रहा था । जिसके
कारण रुट साइड की सर्विस लेन पे ट्रांसफर किया हुआ था । करनाल से निकलते ही एक जिप्सी
का सायरन सुनाई दिया । हमने साइड दे दी । जिप्सी तेज स्पीड पर हमसे आगे निकली , उसके
पीछे एक बस उसी स्पीड पे उसके पीछे चल रही थी । उस बस के पीछे फिर एक जिप्सी थी । यानी
वो कोई वी आई पी बस थी । ड्राइवर ने बताया वो । वो समझौता एक्स0 बस थी जो दिल्ली से
लाहौर पाकिस्तान के लिए चलती है । रोज सुबह यहाँ से गुजरती है । मैंने कहा इस बस के
पीछे लगा लो । तो ड्राइवर बोला कोई फायदा नहीं ,ये बस थोड़ा आगे जा कर ब्रेकफास्ट के
लिए एक रेस्टोरेंट पर रुक जाएगी । बस आगे निकल गई । हम अपनी चाल से आगे बढ़ते रहे ।
5 मिनट बाद ही वो बस एक रेस्टोरेंट पर अंदर खड़ी दिखी । हम आगे बढ़ते रहे । 9 बज रहे
थे । भूख लगने लगी थी । ड्राइवर से कहा अम्बाला पार करके किसी ढाबे पर रोक देना । उसने
अम्बाला पार करके एक अच्छे से ढाबे पर गाड़ी रोक दी ।
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अम्बाला
से आगे ढाबे पर
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ढाबे पर
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नाश्ते का इंतजार |
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नाश्ते
का प्रोग्राम
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मजा आ गया
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ड्राइवर फ़ोन पर बात करने लगा । हमने
आलू के पराठों का आर्डर दे दिया । लगभग 15 मिनट लगे खाना आने में । जब तक खाना आया
वो फ़ोन पर ही बात करता रहा । आधा घंटे में पेट पूजा करके हम फिर गाड़ी में बैठ लिए ।
अब ड्राइवर ने गाड़ी उलटी अम्बाला की तरफ घुमा ली । ऋषभ ने उससे पूछा तो वो बोला हम
गलत रास्ते पर आ गए है , मनाली का रास्ता अम्बाला से दूसरी तरफ कटता है । |
मैं सोच में
पड़ गया , क्योंकि जब 20 साल पहले मैं गया था तो वाया चंडीगढ़ ही गया था । मैंने नेट
पर सर्च मारना शुरू किया । नेट ने दोनों तरफ से रास्ता दिखाया , अम्बाला चंडीगढ़ बड्डी
होते हुए , दूसरा अम्बाला खरर रूपनगर होते हुए । मेरे मोबाइल में 2 जी नेट था । जब
तक मेरे फोन ने सर्च किया हम अम्बाला तक आ चुके थे । इसलिए मैंने बात आगे बढ़ानी सही
नहीं समझी । अब उसने गाड़ी अम्बाला से दूसरी सड़क पर ले ली । यहाँ से रूपनगर 75 कि मी
था । अब मैं आराम से मोबाइल में गेम खेलने लगा । हालांकि मैं अपने मोबाइल में गेम नहीं
रखता । क्योंकि बच्चे फोन नहीं छोड़ते और जब अपने को फ़ोन की जरुरत हो तो बैटरी डाउन
मिलती है । लेकिन ये फ्री टाइम था । कुछ देर खेलते ही छोटे बेटे ने देख लिया । और मेरे
हाथ से फ़ोन छीन लिया और खुद खेलने लगा । दो डायलॉग और चिपका दिए की हमें तो मना करते
हो खुद खेल रहे हो । अब फ़ोन छिन गया तो बाहर के नज़ारे देखने लगा । हम रोपड़ शहर में
घुस रहे थे । जगह जगह दुकानों पर रोपड़ लिखा नजर आने लगा । अचानक दिमाग चकराया रोपड़
, ये रोपड़ कहाँ से आ गया । लगता है फिर गलत रास्ते पर आ गए । बेटे से अपना फोन लिया
। फिर गूगल मैप पर रास्ता चेक किया । इस रास्ते में तो कही रोपड़ है ही नहीं । हम कहाँ
पहुच गए । मैंने जीपीएस ऑन किया । और अपनी पोजीशन चेक की । फिर दिमाग चकरा गया । जीपीएस
हमारी लोकेशन रूपनगर में दिखा रहा था । फिर बाहर देखा दुकानों पर रोपड़ लिखा था । विकिपीडिआ
की मदद ली तो समझ आया । गवर्नमेंट इसे जिला रूपनगर कहती है । परंतु आम बोलचाल में इसे
रोपड़ कहते है । इसलिए दुकानों पर रोपड़ ही लिखा मिलता है । जबकि नेट पर रूपनगर । सड़क
बहुत बढ़िया बनी थी । आखिर टोल रोड थी । टोल भी कितना 20 रु । जबकि हमारे यहाँ मुज़फ्फरनगर
से दिल्ली जाते हुए टोल लगता है 80 रु । और आने जाने का टिकट मांग लो तो देते नहीं
है । खैर हम अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे
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रूप
नगर से आगे
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सड़क बहुत बढ़िया बनी थी |
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रूप
नगर से आगे
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पूरा
ग्रुप
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पूरा
ग्रुप
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ऋषभ |
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मनीष व पुलकित |
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मैं और धर्मपत्नी जी |
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रूप
नगर से आगे
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रूप
नगर से आगे
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पुलकित |
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माता जी |
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बहुत बढ़िया सड़क |
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