सुंदरनगर में |
सुन्दर नगर पार करते ही मंडी आता है । मंडी को हिल्स ऑफ वाराणसी या हिमाचल का काशी भी कहते है । यहाँ के लोगों का दावा है कि बनारस मे केवल 80 मंदिर है, जबकि मंडी में 81 मंदिर है ।
सभी बैठे बैठे बोर हो गए थे । यहाँ कुछ ऐसे बढ़िया सीन देखने को मिले की सब की बोरियत दूर हो गई । एक मोटर साइकिल वाला मोटर साइकिल एक टेम्पो में रख कर ले जा रहा था । परंतु उसे बांधने की बजाये वो खुद उस पर बैठा था । और बैठा भी मोटर साइकिल चलाने वाली मुद्रा में था ।
उसे देख कर सब की हंसी छूट गई । जरा सा आगे चले एक टूरिस्ट बस एक मोड़ पर चढ़ते हुए पीछे से जमींन में फंस गई । आम तौर पर लॉन्ग बॉडी की बस पहाडो पर पास नहीं होती । पहाड़ों पर चलने वाली सरकारी बसें भी पीछे से ज्यादा लंबी नहीं होती । खैर , ये सब नज़ारे देख कर जो सफर की बोरियत थी , दूर हो गई ।
मंडी से हम आगे बढे ।
लगभग 35 कि मी आगे पंडोह डैम आता है । पंडोह बांध ब्यास नदी पर बना है । जो इस भूभाग की मुख्य नदी है । अतः इसमें पानी की प्रचुरता है । यह डैम बिजली उत्पादन के लिए है , ये डैम लगभग 76 मीटर ऊंचा है । कुल्लू मुख्य मार्ग पर पड़ने के कारण ये हमेशा ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है । यहां की सुन्दरता किसी भी यात्री का मन मोह लेती है । इतनी खूबसूरत जगह देख कर हमने भी गाड़ी रुकवा ली । यहाँ एक हैण्ड पंप भी लगा है । पहाड़ो पर हैण्ड पंप देख कर अचरज हो रहा था । जब उसे इस्तेमाल किया तो पाया उसका पानी बहुत ही बढ़िया है । शायद यह बराबर में डैम की वजह से था । लगभग 15 - 20 मिनट रुक कर हम फिर चल दिए ।
रास्ते में एक जगह झूला पुल नजर आया । जो व्यास नदी पार करने के लिए बनाया गया था । हमने गाड़ी रुकवा ली । और झूला पुल पर घूम कर आए । लोगों ने बताया कि ऊपर जा कर एक प्रसिद्ध मंदिर है । ये पुल उस मंदिर को कनेक्ट करने के लिए बनाया गया है । हम मंदिर में नहीं गए । क्योंकि मंदिर बहुत ऊपर था । वहां जाने का मतलब था कम से कम एक से डेढ़ घंटे । सो हम फिर अपनी मंजिल की तरफ चल पड़े ।
मोटर साइकिल टेम्पो में |
मोटर साइकिल चलाने वाली मुद्रा |
बस फँस गई |
फँस गई रे बाबा |
उसे देख कर सब की हंसी छूट गई । जरा सा आगे चले एक टूरिस्ट बस एक मोड़ पर चढ़ते हुए पीछे से जमींन में फंस गई । आम तौर पर लॉन्ग बॉडी की बस पहाडो पर पास नहीं होती । पहाड़ों पर चलने वाली सरकारी बसें भी पीछे से ज्यादा लंबी नहीं होती । खैर , ये सब नज़ारे देख कर जो सफर की बोरियत थी , दूर हो गई ।
व्यास नदी |
मंडी से आगे |
मंडी से हम आगे बढे ।
पहाड़ो पे हैण्ड पंप |
मीठा पानी |
बोतले भर ली |
पंडोह डैम |
पंडोह डैम |
लगभग 35 कि मी आगे पंडोह डैम आता है । पंडोह बांध ब्यास नदी पर बना है । जो इस भूभाग की मुख्य नदी है । अतः इसमें पानी की प्रचुरता है । यह डैम बिजली उत्पादन के लिए है , ये डैम लगभग 76 मीटर ऊंचा है । कुल्लू मुख्य मार्ग पर पड़ने के कारण ये हमेशा ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है । यहां की सुन्दरता किसी भी यात्री का मन मोह लेती है । इतनी खूबसूरत जगह देख कर हमने भी गाड़ी रुकवा ली । यहाँ एक हैण्ड पंप भी लगा है । पहाड़ो पर हैण्ड पंप देख कर अचरज हो रहा था । जब उसे इस्तेमाल किया तो पाया उसका पानी बहुत ही बढ़िया है । शायद यह बराबर में डैम की वजह से था । लगभग 15 - 20 मिनट रुक कर हम फिर चल दिए ।
हमारे भारत की शान |
rishabh |
मनीष |
मैं , मेरा परिवार |
मैं , मेरी धर्म पत्नी जी |
रास्ते में एक जगह झूला पुल नजर आया । जो व्यास नदी पार करने के लिए बनाया गया था । हमने गाड़ी रुकवा ली । और झूला पुल पर घूम कर आए । लोगों ने बताया कि ऊपर जा कर एक प्रसिद्ध मंदिर है । ये पुल उस मंदिर को कनेक्ट करने के लिए बनाया गया है । हम मंदिर में नहीं गए । क्योंकि मंदिर बहुत ऊपर था । वहां जाने का मतलब था कम से कम एक से डेढ़ घंटे । सो हम फिर अपनी मंजिल की तरफ चल पड़े ।
झूला पुल |
झूला पुल पर हम |
झूला पुल पर हम |
झूला पुल पर मनीष व ऋषभ |
व्यास नदी पर झूला पुल |
व्यास नदी |
झूला पुल के शुरुआत पर |
व्यास नदी के किनारे |
झूला पुल के शुरुआत पर |
झूला पुल के शुरुआत पर |
ऊपर पहाड़ पर मंदिर |
ऊपर पहाड़ पर मंदिर |
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ReplyDeleteब्लॉग पर व्यक्तिगत तसवीरें कम से कम लगाएँ। आपका ध्यान उस जगह के बारे में नई बातें बताने पर ज्यादा रहना चाहिए।
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