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Wednesday, 3 August 2016




मसूरी मॉल रोड


अब हमारा अगला पड़ाव था मंसूरी । सहस्त्रधारा से मंसूरी जाने के लिए देहरादून नहीं आना होता । सीधे सहस्त्रधारा से राजपुरा रोड पर पहुच जाते है । और सीधे मंसूरी जाने वाली सड़क पर ही मिलते है । मसूरी यहाँ से 33 km है । हम इसी सड़क से होते हुए मसूरी की सर्पीली सड़कों की तरफ बढ़ने लगे । बारिश अभी भी हो रही थी । रास्ते में एक जगह मसूरी विकास व पर्यावरण शुल्क वसूला जाता है । मुझे नहीं पता ये शुल्क मसूरी के पर्यावरण को बचाने में क्या योगदान देता है । लेकिन वसूला जाता है इसलिए हमने भी दिया । शुक्ल दे कर हम आगे बढ़ चले । यहाँ तक बारिश बूंदाबांदी में बदल चुकी थी । आगे जा के सड़क दो भागों में बंट जाती है । बायीं ओर लाइब्रेरी की तरफ , सीधे पिक्चर पैलेस की तरफ चली जाती है ।
मसूरी उन स्थानों में है जहां लोग बार-बार जाना पसंद करते हैं। ये भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल में से एक है। मसूरी हिमालय पर्वतमाला के शिवालिक श्रेणी में पड़ता है, जिसे पर्वतों की रानी भी कहा जाता है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 2000 मी. है । इसके उत्तर-पूर्व में हिम आलय हैं, तो दक्षिण में दून घाटी दिखती है। इसी कारण यह शहर पर्यटकों के लिये परीमहल जैसा है। इसीलिए इसे पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है ।

मसूरी का मेन बाजार जिसे मॉल रॉड कहते है वो पिक्चर पैलेस से लाइब्रेरी तक फैली हुई है ।अतः मंसूरी दोनों तरफ से जाया जा सकता है । दोनों तरफ पार्किंग की सुविधाए है । हमने पिक्चर पैलेस की तरफ से जाने का फैसला किया क्योंकि मॉल रोड का ये हिस्सा ज्यादा विकसित है । हमने पिक्चर पैलेस पहुच कर गाड़ी पार्किंग में खडी कर दी । और गाड़ी में से जरूरी सामान 3 छतरी और 2 - 3 पैकेट खानेपीने के सामान के निकाल लिए । इस समय 10:30 हुए थे । हम सही समय पर आ गए थे । अब तक बूंदाबांदी भी बंद हो चुकी थी । हम आराम से मॉल रोड पर घूमते घामते चले जा रहे थे । रास्ते में एक जगह भुट्टे मिल रहे थे । तो हमने भी अच्छे पर्यटकों की भांति एक एक भुट्टा हाथ में पकड़ लिया । और उसे खाते हुए चलने लगे । घूमते घूमते हम रोप वे तक पहुच गए । हमने रोपवे के टिकट का पता किया तो पता चला जाने का 1 घंटे में नम्बर आयेगा । और लाइन में इंतजार करना पड़ेगा । लाइन में इंतजार करना हमें मंजूर नहीं था । हम यहाँ राशन खरीदने नहीं आये थे । सो हम आगे बढ़ चले । रोप वे से लाइब्रेरी तक मार्किट कम ही है । हम घूमते घूमते लाइब्रेरी तक पहुच गए । अब चलते चलते थोड़ा थकान होने लगी थी । लाइब्रेरी से रोप वे तक रिक्शा चलती है।  सो हमने रोप वे तक 80 रु प्रति के हिसाब से दो रिक्शा कर ली । हम 3 -4 मिनट में ही वापस रोप वे तक पहुँच गए । एक बार फिर हमने रोप वे के टिकट का पता किया । वही 1 घंटे की लाइन थी । हम वापस घूमते घामते पिक्चर पैलेस की तरफ चल पड़े । रास्ते में एक आइसक्रीम वाले की दुकान पड़ी । बच्चे आइसक्रीम खाने लगे , हम थोड़ा सुस्ताने के लिए बैठ गए । 10 मिनट बाद फिर चल पडे । अब एक वीडियो गेम वाले की दुकान नजर आई । अब बच्चे वीडियो गेम ना खेलें , ऐसा हो सकता है ? नहीं ना । सो बच्चे वीडियो गेम वा ले की दुकान में घुस गए । हमें भी पैरों को आराम देने का मौका मिल गया । आधा पोंन घण्टे खेल कर हम फिर चल दिए । हम लगभग 12:30 बजे वापस पिक्चर पैलेस पहुच गए ।











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