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Tuesday, 30 August 2016

शुक्रताल



शुक्रताल का सफर

शुक्रताल का सफर

कल रात 9 बजे ऋषभ घर हमारे घर आया । कहने लगा परसों सुबह मै निकल जाऊँगा । कल संडे है , कही घूमने चलते है । मैंने कहा एक दिन में कहाँ जा सकते है । तो वो कहने लगा शुक्रताल चलते है । शुक्रताल हमारे मुज़फ्फरनगर से ३० किमी है । लेकिन हम लोग दूर दूर तो घूम आते है ।पास में लगता है यहाँ तो कभी भी हो आएंगे । इसलिए जा नहीं पाते । शुक्रताल गए हुए मुझे 15 साल हो गए होंगे फिर भी पता नहीं क्यों मेरा मन नहीं हो रहा था । लेकिन सब की इच्छा थी । मैंने पुलकित की क्लासेज का हवाला दिया । तो वो बोला कल मेरी क्लासेज 11 बजे से है । लेकिन जाने का मन उसका भी था । वो पहले कभी नहीं गया था । तो प्रोग्राम बना की सुबह 6 बजे निकलते है । और 11 बजे तक वापस आ जायेंगे । बात करते करते रात 11 बज गए । फिर ऋषभ चला गया कि सुबह हम आ रहे है , सुबह 6 बजे तैयार रहना । मै तो आराम से सो गया । अचानक अलार्म की आवाज सुनी । नींद खुल गई , ध्यान आया की शुक्रताल जाना है । टाइम देखा 5:30 हो रहे थे । श्रीमती जी तैयार होने जा चुकी थी । इसका मतलब ये अलार्म मेरे लिये लगाया गया था । क्याकि हमारे बच्चे तो ड्रम भी बजा लो तो भी न उठें । जब तक उन्हें हिला हिला कर ना उठाओ । तो मैं अलार्म सुन कर उठ गया । और तैयार होने चला गया । इतनी देर में श्रीमती जी ने दोनों बच्चों को उठा दिया ।वो भी तैयार हो गए । इतनी देर में ऋषभ का फ़ोन आ गया कि हम आपके घर के बाहर आ गए । जितनी देर में हमने तैयार होने में फाइनल टच दिया । ऋषभ ने हमारी गाड़ी भी बाहर निकाल दी । ठीक सवा छः बजे हम 2 गाड़ियों में 8 बड़े और 2 बच्चे सवार हो कर शुक्रताल चल दिए ।
यह स्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है। गंगा नदी के तट पर स्थित शुक्रताल मुज़फ्फरनगर से 30 किमी दूर है । यह गंगा के किनारे बसा है | जहाँ देश विदेश से लाखों पर्यटक प्रति वर्ष आते है |
शुक्रताल चल दिए


घर से निकल कर जानसठ रोड होते हुए बाईपास पकड़ लिया और भोपा रोड होते हुए सीधे शुक्रताल पहुँच गए ।


शुक्रताल मे सबसे पहले हम गंगा जी के घाट पर पहुँचे । हम सोच रहे थे इतनी सुबह घाट खाली मिलेगा । लेकिन नहीं , वहाँ काफी भीड़ थी ।
शुक्रताल गंगा घाट

शुक्रताल घाट

शुक्रताल घाट पर हम

शुक्रताल गंगा घाट


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