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शुक्रताल का सफर
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शुक्रताल का सफर
कल
रात 9 बजे ऋषभ घर हमारे घर आया । कहने लगा परसों सुबह मै निकल जाऊँगा । कल संडे है
, कही घूमने चलते है । मैंने कहा एक दिन में कहाँ जा सकते है । तो वो कहने लगा शुक्रताल
चलते है । शुक्रताल हमारे मुज़फ्फरनगर से ३० किमी है । लेकिन हम लोग दूर दूर तो घूम
आते है ।पास में लगता है यहाँ तो कभी भी हो आएंगे । इसलिए जा नहीं पाते । शुक्रताल
गए हुए मुझे 15 साल हो गए होंगे फिर भी पता नहीं क्यों मेरा मन नहीं हो रहा था । लेकिन
सब की इच्छा थी । मैंने पुलकित की क्लासेज का हवाला दिया । तो वो बोला कल मेरी क्लासेज
11 बजे से है । लेकिन जाने का मन उसका भी था । वो पहले कभी नहीं गया था । तो प्रोग्राम
बना की सुबह 6 बजे निकलते है । और 11 बजे तक वापस आ जायेंगे । बात करते करते रात
11 बज गए । फिर ऋषभ चला गया कि सुबह हम आ रहे है , सुबह 6 बजे तैयार रहना । मै तो आराम
से सो गया । अचानक अलार्म की आवाज सुनी । नींद खुल गई , ध्यान आया की शुक्रताल जाना
है । टाइम देखा 5:30 हो रहे थे । श्रीमती जी तैयार होने जा चुकी थी । इसका मतलब ये
अलार्म मेरे लिये लगाया गया था । क्याकि हमारे बच्चे तो ड्रम भी बजा लो तो भी न उठें
। जब तक उन्हें हिला हिला कर ना उठाओ । तो मैं अलार्म सुन कर उठ गया । और तैयार होने
चला गया । इतनी देर में श्रीमती जी ने दोनों बच्चों को उठा दिया ।वो भी तैयार हो गए
। इतनी देर में ऋषभ का फ़ोन आ गया कि हम आपके घर के बाहर आ गए । जितनी देर में हमने
तैयार होने में फाइनल टच दिया । ऋषभ ने हमारी गाड़ी भी बाहर निकाल दी । ठीक सवा छः बजे
हम 2 गाड़ियों में 8 बड़े और 2 बच्चे सवार हो कर शुक्रताल चल दिए ।
यह
स्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है। गंगा नदी के तट पर स्थित शुक्रताल
मुज़फ्फरनगर से 30 किमी दूर है । यह गंगा के किनारे बसा है | जहाँ देश विदेश से लाखों
पर्यटक प्रति वर्ष आते है |
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शुक्रताल चल दिए |
घर
से निकल कर जानसठ रोड होते हुए बाईपास पकड़ लिया और भोपा रोड होते हुए सीधे शुक्रताल
पहुँच गए ।
शुक्रताल मे सबसे पहले हम गंगा जी
के घाट पर पहुँचे । हम सोच रहे थे इतनी सुबह घाट खाली मिलेगा । लेकिन नहीं , वहाँ काफी
भीड़ थी ।
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शुक्रताल गंगा घाट |
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शुक्रताल घाट |
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शुक्रताल घाट पर हम |
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शुक्रताल गंगा घाट |
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