मंसुरी से वापसी
हम कंपनी बाग़ से बाहर आ गए । गाड़ी उठाई और वापस चल दिए । जैसे ही मसूरी की तरफ चले । भयंकर जाम मिला ।पहले तो गाड़ी धीरे धीरे चलती रही । फिर सरकनी भी बंद हो गई तो गाड़ी बंद कर दी । 5 मिनट बाद लाइन फिर थोड़ी सी सरकी , फिर रुक गई । ऐसे ही गाड़ी थोड़ा थोड़ा सरक कर लाइन चलती रही । और लाइब्रेरी चौक तक ऐसे ही चली । 10 मिनट के सफर में लगभग 1 घंटा लग गया । चलो कोई बात नहीं , निकल तो आये । अब देहरादून की तरफ चल दिए । आधे रास्ते पहुँच कर फिर बारिश शुरू हो गई । रात का समय व बारिश , गुप्प अँधेरा था ।पर हमारी गाड़ी के आगे चार पांच गाड़ी और चल रही थी । इसलिए हमें कोई परेशानी नहीं हो रही थी । हम आराम से उन गाड़ियों के पीछे पीछे लाइन में चले जा रहे थे । देहरादून पहुच कर लाइन इधर उधर हो गई । परंतु तब तक हम पहाड़ी रास्ता पार कर देहरादून की प्लेन सड़को पर आ चुके थे । हमें देहरादून घंटा घर तक बारिश मिली । फिर लगभग बंद हो गई । बारिश के बावजूद राजपुरा रोड जो घंटा घर पर समाप्त होती है पर बहुत ट्रेफिक था । और बारिश रुकने की वजह से ट्रेफिक और बढ़ गया । अब शाम के 8 बजे थे । जो देहरादून सुबह 15 मिनट में पार हो गया था ,वही देहरादून पार करने में हमें 1 घण्टा लग गया । देहरादून पार करने के बाद डॉट के मंदिर से फिर हल्का सा पहाड़ी रास्ता आता है । बारिश बिल्कुल बंद हो चुकी थी । हमारे आगे आगे एक वॉल्वो बस चल रही थी । मैंने सोचा इसको ओवरटेक कर लेता हूँ । परन्तु उसकी स्पीड इतनी अच्छी थी की मुझे जबरदस्ती स्पीड बढ़ा कर ओवरटेक करना पड़ता , ऊपर से पहाड़ी रास्ता । मेने एक बार कोशिश की लेकिन असफल हो कर पीछे ही कर ली । और पूरे पहाड़ी रास्ते उसके पीछे ही चलता रहा । फिर प्लेन सड़को पर आ कर उसे ओवरटेक किया । अब सड़क बिलकुल खाली पड़ी थी । गाड़ी अपने आप 100 से ऊपर चली जाती थी । बारिश नहीं थी , लेकिन नमी की वजह से दृश्यता कम थी । इसलिए गाडी की स्पीड कम करनी पड़ती थी । अब लगभग 9:30 हुए थे , हम बिहारीगढ़ पहुच चुके थे । बिहारीगढ़ पकोड़ो के लिए प्रसिद्ध है । और खाने का समय भी हो रहा था ।
मैंने सब से पूछा , लेकिन कोई रुकने का इच्छुक नहीं था । वापसी में ऐसा ही होता है । सबको जल्दी घर पहुचने की इच्छा होती है । तो हम नहीं रुके । 15 मिनट बाद हम छुटमलपुर पहुच चुके थे । यहाँ से मुज़फ्फरनगर जाने के दो रास्ते है । एक जिससे हम आए थे । दूसरा रुड़की होते हुए । चूंकि सुबह हमने देखा था कि सड़क निर्माण के चलते काफी कीचड़ थी , रात को उस रास्ते से जाना उचित नहीं था । हमने गाड़ी रुड़की की तरफ मोड़ ली । इस सड़क पर भारी वाहनो का ट्रेफिक ज्यादा था । हमें स्पीड नहीं मिल पा रही थी । लगभग 60 - 70 की अधिकतम गति पर चलते हुए हम रुड़की पहुच गए । अब लगभग 10:30 हो चुके थे । यहाँ से मुज़फ्फरनगर 50 कि0 मी0 है । रुड़की से 10 क़ि0 मी0 चलते ही फिर बारिश शुरू हो गई । लेकिन वही सड़क निर्माण की समस्या । सड़क 4 लेंन कर दी लेकिन बीच बीच मे निर्माण अधूरा छोड़ दिया । सड़क पर चलते हुए डर लग रहा था कि कही एकदम से सड़क टूटी या न बनी हुई न आ जाये । कई बार हमें सड़क न बनी होने की वजह से गाड़ी को सीधे हाथ वाली साइड लाना पड़ा । और कई बार फिर उलटे हाथ वाली साइड आना पड़ा । एक जगह सड़क पर बडा सा पत्थर पड़ा था जो बारिश की वजह से दूर से दिखाई नहीं दे रहा था , गाड़ी पास आने पर वो दिखा , एक दम से गाड़ी काट कर उस पत्थर से बचाया । गाडी में बैठे सभी लोग अपनी जगह से हिल गए । बेटा सो रहा था वो उठ गया । लेकिन सब खैर हुई । मुज़फ्फरनगर बाईपास तक बारिश होती रही । लेकिन हमें बाईपास से न जाकर शहर से होकर जाना था । अनंत अपने घर जाना चाह रहा था । हमने गाड़ी शिव चौक से होते हुए निकाल ली । शहर की सड़कें रात होने की वजह से खाली पड़ी थी । जहाँ अनंत के पापा यानि हमारे जीजाजी उसको लेने आ गए। उसको छोड़ कर हम भी लगभग 12 बजे अपने घर पहुच गए ।
इस प्रकार यह यात्रा सकुशल समाप्त हुई ।
मैंने सब से पूछा , लेकिन कोई रुकने का इच्छुक नहीं था । वापसी में ऐसा ही होता है । सबको जल्दी घर पहुचने की इच्छा होती है । तो हम नहीं रुके । 15 मिनट बाद हम छुटमलपुर पहुच चुके थे । यहाँ से मुज़फ्फरनगर जाने के दो रास्ते है । एक जिससे हम आए थे । दूसरा रुड़की होते हुए । चूंकि सुबह हमने देखा था कि सड़क निर्माण के चलते काफी कीचड़ थी , रात को उस रास्ते से जाना उचित नहीं था । हमने गाड़ी रुड़की की तरफ मोड़ ली । इस सड़क पर भारी वाहनो का ट्रेफिक ज्यादा था । हमें स्पीड नहीं मिल पा रही थी । लगभग 60 - 70 की अधिकतम गति पर चलते हुए हम रुड़की पहुच गए । अब लगभग 10:30 हो चुके थे । यहाँ से मुज़फ्फरनगर 50 कि0 मी0 है । रुड़की से 10 क़ि0 मी0 चलते ही फिर बारिश शुरू हो गई । लेकिन वही सड़क निर्माण की समस्या । सड़क 4 लेंन कर दी लेकिन बीच बीच मे निर्माण अधूरा छोड़ दिया । सड़क पर चलते हुए डर लग रहा था कि कही एकदम से सड़क टूटी या न बनी हुई न आ जाये । कई बार हमें सड़क न बनी होने की वजह से गाड़ी को सीधे हाथ वाली साइड लाना पड़ा । और कई बार फिर उलटे हाथ वाली साइड आना पड़ा । एक जगह सड़क पर बडा सा पत्थर पड़ा था जो बारिश की वजह से दूर से दिखाई नहीं दे रहा था , गाड़ी पास आने पर वो दिखा , एक दम से गाड़ी काट कर उस पत्थर से बचाया । गाडी में बैठे सभी लोग अपनी जगह से हिल गए । बेटा सो रहा था वो उठ गया । लेकिन सब खैर हुई । मुज़फ्फरनगर बाईपास तक बारिश होती रही । लेकिन हमें बाईपास से न जाकर शहर से होकर जाना था । अनंत अपने घर जाना चाह रहा था । हमने गाड़ी शिव चौक से होते हुए निकाल ली । शहर की सड़कें रात होने की वजह से खाली पड़ी थी । जहाँ अनंत के पापा यानि हमारे जीजाजी उसको लेने आ गए। उसको छोड़ कर हम भी लगभग 12 बजे अपने घर पहुच गए ।
इस प्रकार यह यात्रा सकुशल समाप्त हुई ।
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